Share on:

उम्मीद करता हूं सभी किसान भाइयों की नरमा और कपास की फसल बढ़िया होगी और इसी मंगल कामना के साथ आज हम बात करेंगे कि एपीके (NPK) क्या है और नरमा कपास की फसल में अगस्त सितंबर महीने में एनपीके ज़रूरी क्यों होती है? और यह पौधों के लिए कैसे कार्य करता है?

यह पढ़े : नरमा में हरा तेला।

आसान भाषा में समझाते हुए बताना चाहूंगा कि एनपीके में N का अर्थ है नाइट्रोजन, P का अर्थ है फास्फोरस , K का अर्थ है पोटेशियम , नीचे चल कर हम पूरी जानकारी पाएंगे कि पौधे में नाइट्रोजन , फास्फोरस और पोटेशियम की आवश्यकता क्यों पड़ती है और खासकर यह अगस्त और सितंबर महीने में ही इसकी स्प्रे क्यों करनी चाहिए?

नरमा कपास की फसल के लिए एनपीके (NPK) क्या है ?

एनपीके (NPK) जैसा कि हम नाम से ही समझ रहे हैं कि यह शब्द 3 शब्दों को जोड़कर बनाया गया है , एन यानी कि नाइट्रोजन , पी बोले तो फास्फोरस और के यानी कि पोटेशियम।

यह पढ़कर आपका दिमाग एक बात सोचने पर तो जरूर मजबूर हो रहा होगा कि इनका तो समझ में आता है कि ऐसे नाइट्रोजन बनता है लेकिन भैया 20 से 4 वर्ष और कैसे पोटेशियम कैसे बना यह कहानी समझ से बाहर हो रही होगी।

इसके लिए मैं आपको संक्षिप्त में बताना चाहूंगा कि यह तीनों शब्द N , P और K रासायनिक विज्ञान के शब्द हैं और रसायनिक विज्ञान के पेरिऑडिक टेबल अनुसार N शब्द Nitrogen , K शब्द Potassium और P शब्द Phosphorus के लिए प्रयोग में लिया जाता है।

चलो अब हम मुद्दे की बात जान लेते हैं कि एनपीके (NPK) क्या है और इसमें नाइट्रोजन , फास्फोरस और पोटेशियम से क्या संबंध है?

वर्तमान समय में बाजार में कुछ एनपीके विभिन्न अनुपातों में मौजूद हैं जिसका उपयोग फसल की आयु एवं मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार किया जाता है

उदाहरण के लिए 13:0:45 , 19:19:19, 8:16:39 इत्यादि अनुपात के एनपीके बाजार में उपलब्ध है वह कारगर है जिनका उपयोग कपास की फसल मैं किया जा रहा है।

19:19:19 प्रकार के एनपीके मैं नाइट्रोजन फास्फोरस तथा पोटेशियम का समान अनुपात है एवं 8:16:39 NPK में नाइट्रोजन के 8 भाग भाग फास्फोरस के 16 भाग तथा पोटेशियम के 39 भाग मिलाए गए हैं।

नाइट्रोजन , फास्फोरस और पोटेशियम का पौधे में उपयोग और इनकी नरमा कपास में जरूरत

नाइट्रोजन – यह पौधे में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाला तत्व है इसका अवशोषण पौधे की जड़ों द्वारा तथा पतियों द्वारा किया जाता है एवं इसका अवशोषण नाइट्रेट के रूप में किया जाता है। पौधे के सर्वांगीण विकास में इसका महत्व पूर्ण महत्व पूर्ण योगदान है वायुमंडल में 78% प्रतिशत नाइट्रोजन पाया जाता है।

फास्फोरस – पौधे में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भोजन बनाने की प्रक्रिया में इसका योगदान है क्योंकि भोजन एटीपी के रूप में पौधे में उपस्थित रहता है एटीपी का निर्माण फास्फोरस के बिना संभव नहीं है यह तत्व पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा फल फूल बनने मैं सहायक है।

पोटेशियम – यह तत्व पौधे में पैदावार बढ़ाने तथा पौधे को अत्यधिक ठंड वह सूखे के समय जीवित रखने में कारगर है पोटेशियम उत्पादन क्षमता बढ़ाने में विशेष रूप से कारगर है।

आमतौर पर कोटन की वैरायटी की आयु 150 से 170 दिन होती है । 100 दिन के पौधे होने पर कोटन के पौधे की जड़ कमजोर होने लगती है लेकिन इसी समय पौधे पर फॉल (फल और फूल) उठाने का अतिरिक्त दवाब होता है।

इस कारण कोटन के पौधे को 100 से 150 दिन तक अत्यधिक खुराक की आवश्यकता होती है होती है जोकि जड़ द्वारा पूर्णत आपूर्ति नहीं की जा सकती उस समय पत्तियां वातावरण से आवश्यक तत्वों की पूर्ति करके पौधे को कठिन परिस्थितियों में जीवित रखने वह उसे फलदार बनाने में मददगार होती है।

नरमा कपास की फसल के लिए एनपीके (NPK) क्या है और अगस्त सितंबर माह में क्यों जरूरी है?

राजस्थान के हनुमानगढ़ गंगानगर जिला और पंजाब के अबोहर फाजिल्का एवं हरियाणा के सिरसा जिले में नरमे की अमूमन बिजाई अप्रैल-मई माह में होती है और यदि हम इसकी ऑस्टन विदाई के हिसाब से अनुमान लगाएं तो अगस्त सितंबर माह में नरमा 90 से 110 दिन का हो जाता है।

और जैसा कि हमने ऊपर बता रखा है कि अमेरिकन कपास की आयु लगभग 150 से 170 दिन की होती है तो उसी हिसाब से अमेरिकन कपास के पौधे को 90 दिन के बाद अत्यधिक खुराक की आवश्यकता होती है अपना उत्पादन करने के लिए।

और इसी कारण के चलते किसान भाइयों को सुझाव दिया जाता है कि अगस्त और सितंबर माह में एनपीके की कम से कम दो और हो सके तो तीन फोलियर स्प्रे अवश्य निकालें।

अब आप पूछेंगे कि भैया स्प्रे नाम तो सुना है लेकिन यह फोलियर स्प्रे किसको बोलते हो ? आधुनिक युग की खेती में इस प्रकार के पोषण भरण को फोलियर सप्रे कहा जाता है।

नरमा या कहें अमेरिकन कपास में एनपीके (NPK) की जरूरत

जैसा कि हम जानते हैं की पौधे की पत्तियां प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करती हैं यह भोजन फलोंयम की सहायता से पौधे के विभिन्न भागों में पहुंचाया जाता है जिससे नई कोशिका निर्माण तथा पौधे की मरम्मत तथा उसकी क्षमता के अनुरूप फल देने में सहायता होती है

जिस प्रकार पत्तियां क्लोरोफिल की सहायता से सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी मैं भोजन तैयार करती है है वैसे ही पौधों में एक अन्य संरचना जिसे हम स्टोमेटा के नाम से जानते हैं स्टोमेटा पतियों का वह भाग है है जो पौधै की नमी बनाए रखने में सहायता करता है।

स्टोमेटा में गार्ड सेल नाम की विशेष रचना होती होती है जिसकी मदद से अतिरिक्त पानी की निकासी तथा कार्बन डाइऑक्साइड का प्रवेश संपन्न होता है।

NPK का पतियों द्वारा अवशोषण की प्रक्रिया – एनपीके का अवशोषण पतियों में मौजूद गार्ड सेल के माध्यम से होता है इस माध्यम से पोषक तत्व का प्रवेश पौधे के लिए अत्यंत लाभकारी है।

क्योंकि इस प्रकार के अवशोषण से पौधे के विभिन्न भागों में तत्वों का समान वितरण होता है तथा कोशिका निर्माण व पौधे के फल का संपूर्ण विकास संभव है।

सर्वप्रथम एनपीके को पानी में मिलाया जाता है फिर सप्रे पंप की सहायता से पौधों में छिड़काव किया जाता है इस प्रक्रिया का अन्य लाभ यह है की छिड़काव के तुरंत बाद इसका अवशोषण पतियों द्वारा संपूर्ण रुप से कर लिया जाता है।

NPK – कौनसी (13:0:45 , 19:19:19 , 8:16:39) एनपीके की स्प्रे कब करनी चाहिए ?

13:0:45 एनपीके की प्रथम सप्रे जिस वक्त आप का नरमा 80 से 90 दिन के मध्य होता है उस समय करनी चाहिए और नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटेशियम की यह मिश्रित सप्रे ही सर्वप्रथम आपको नरमा में करनी चाहिए।

जैसा कि हमने ऊपर बताया भी था NPK 13:0:45 में फास्फोरस की मात्रा शून्य होती है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं पौधे को फास्फोरस की अत्यधिक आवश्यकता लगभग 110 दिन के करीब होती है।

NPK 19:19:19 की स्प्रे
इमेज : NPK 19:19:19 की स्प्रे

19:19:19 एनपीके की स्प्रे जिस वक्त निरमा का पौधा 100 से 110 दिन के मध्य होता है उस वक्त आपको इस समान अनुपात वाले नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम की फोलियर स्प्रे करनी चाहिए।

8:16:39 एनपीके की सप्रे : पौधा जिस वक्त 110 से 120 दिन के मध्य होता है उसी समय करवाई जाती है इसके अंदर नाइट्रोजन का भाग सबसे कम होता है और पोटेशियम का भाग नाइट्रोजन से 3 गुना ज्यादा होता है ,

तो जैसा कि हमने बताया था पोटेशियम पौधे में लगने वाले फूल के पालन पोषण में सहायक होता है तो जो 120 से 130 दिन का समय होता है इसमें पौधे के टिंडे फलने फूलने का काम करते हैं।

उम्मीद करते हैं ऊपर दी गई एनपीके (NPK) क्या है और नरमा कपास में इसकी ज़रूरत संबंधित जानकारी आपको उचित लगे कि होगी और यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सदस्य है और आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट में हम से पूछ सकते हैं , हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि आपकी सहायता की जाए और एनपीके से जुड़ी उचित जानकारी आपको उपलब्ध करवा सकें।

Share on:

Author : Pankaj Sihag

मैं इस खेती-किसान ब्लॉग का संस्थापक पंकज सिहाग हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव के किसान का बेटा हूँ। यहाँ पर किसानों की सहायता हेतु फसलों के मंडी भाव दिए जाते हैं।

Comments are closed.

An online web portal where articles on government schemes, farming & agriculture are published in hindi.

Note : It is not affiliated to government.

CONTACT US

Mail To : contact@khetikisaan.com

1509 धान का ताज़ा भाव 26 सितंबर 2022 Weather Update : आज बारिश होने की प्रबल संभावना Today Mandi Bhav 24th Aug 2022 Dhaan Rate Mandi Bhav : ग्वार एवं गम के हाज़िर और वायदा बाजार की रिपोर्ट