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भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, भूटान की सीमा से लगता पूर्वी भारत का राज्य पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 का आगाज हो चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां चाहे पक्ष हो या विपक्ष अपने अपने आंकड़ों तथा समीकरणों के माध्यम से मैदान में अपनी ताल ठोक चुके हैं, परंतु लोकतंत्र के इस महापर्व में अंतिम फैसला जनता में निहित है।

यथास्थिति : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 अपडेट

गंगा ब्रह्मपुत्र नदियों की प्रवाहित धारा में स्थित पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासनिक दृष्टि से 23 जिलों एवं 294 विधानसभा क्षेत्रों में बंटा हुआ है। वामदल पार्टियों के लंबे शासनकाल मैं उपजे असंतोष के सहारे 2011 में तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीत करके ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया।

साल 2014 में केंद्र मैं कांग्रेस पार्टी की विदाई तथा भारतीय जनता पार्टी के आगमन होते ही भारतीय राजनीतिक समीकरण तेजी से बदले, परंतु 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर के बावजूद ममता बनर्जी ऐतिहासिक बहुमत जुटाने में कामयाब रही तथा दूसरी बार सुबे की कुर्सी संभाली।

इस विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें तथा 40% वोट अर्जित करने में सफल रही व बीजेपी महज 3 सीटों पर सीमेंट कर रह गई।

ममता दीदी के दूसरे कार्यकाल में कुछ राजनीतिक, धार्मिक एवं कानूनी घटनाक्रम हुए जिससे पश्चिम बंगाल राज्य राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रहा , इन सब में दुर्गा पूजा प्रकरण, विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं की हत्या व मारपीट की घटना, राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच का मामला, सीएए व बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर खासकर भारतीय जनता पार्टी तथा ममता बनर्जी के बीज टकराव की स्थिति बनी रही।

क्या लोकसभा चुनाव 2019 की स्थिति पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 को प्रभावित करेगी ?

2016 विधानसभा चुनाव के पश्चात भगवा पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 तथा विधानसभा चुनाव 2021 में सफलता हासिल करने के लिए पश्चिम बंगाल में अपनी मौजूदगी जनता के बीच दर्ज करवाने में कोई कोर कसर नहीं रखी।

जिसके नतीजे में लोकसभा चुनाव 2019 की नमो लहर में बीजेपी ने उत्तर भारतीय राज्यों में अपार सफलता के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की तथा इसी के साथ भाजपा टीम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की चुनावी रणनीतियां तैयार करने लगी।

हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी पार्टी ने ममता बनर्जी पर चुनाव में धांधली तथा कार्यकर्ताओं को धमकाने पीटने के आरोप लगाए तथा जवाब में ममता बनर्जी की पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को ध्रुवीकरण करने का जिम्मेदार ठहराया।

इन सबके बावजूद भाजपा 40% वोट पाने में कामयाब रही तथा तृणमूल कांग्रेस ने 43 प्रतिशत वोट अर्जित किए।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के चुनावी मुद्दे

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव – 2021 को विभिन्न पार्टियां अलग-अलग मुद्दों पर लड़ रही है, इनमें तृणमूल कांग्रेस पार्टी जहां केंद्र सरकार पर धार्मिक ध्रुवीकरण , केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग व एनआरसी के द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार, अराजकता, राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था, भाई भतीजावाद के सहारे मिशन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 फतेह करना चाहती हैं।

चुनाव कुशल प्रबंधन में माहिर बीजेपी रणनीतिक रूप से सत्ता पक्ष के तमाम असंतुष्ट नेताओं जिनमें कुछ ममता बनर्जी के खास विधायकों एवं मंत्रियों को भुनाने में जुटी हुई है, इसी क्रम में शुभेंदु अधिकारी, सुनील मंडल जैसे नेताओं को अपने पाले में करने में कामयाब हुई है।

सभी राजनीतिक पार्टियां इस चुनावी माहौल में हर प्रकार से जनता को लुभाने का पर्यटन कर रही है इसी श्रेणी में सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती को केंद्र सरकार ने पराक्रम दिवस (23 जनवरी) घोषित किया तथा ममता बनर्जी ने 10 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकाली।

इस अवसर पर नेतागण एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए। कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , सीएम ममता तथा राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ ने 23 जनवरी को मंच साझा किया परंतु राजनीतिक कड़वाहट का दौर जारी रहा, एवं दर्शकों द्वारा जय श्री राम के नारे लगाने पर सीएम ममता ने अपना भाषण बीच में समाप्त कर दिया और भाजपा कार्यकर्ताओं को सख्त लहजे में सरकारी कार्यक्रम का सम्मान करने की नसीहत दे डाली।

जहां एक और टीएमसी सी ए ए वह एनआरसी कानून के जरिए भाजपा पर आरोप लगा रही है की इस कानून के द्वारा केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की नागरिकता को समाप्त कर देना चाहती हैं वहीं दूसरी ओर बीजेपी रोहिंग्या मुसलमानों तथा अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों स्कोर शरण देने के मुद्दे पर बंगाल सरकार घेराबंदी कर रही है। अब भविष्य में देखना होगा की नागरिकता का मुद्दा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 को कितना प्रभावित करेगा।

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा पंजाब एवं यूपी के किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे है , और उनकी मांग है कि तीनों कृषि बिल निरस्त किए जाएं परंतु केंद्र सरकार बातचीत के जरिए कानूनों में संशोधन करके धरना समाप्त करवाना चाहती है।

इस घटनाक्रम ने सभी राज्यों के किसानों का ध्यान आकर्षित किया है, इस इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस किसानों का साथ देकर केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है। 70% भारतीय आबादी के किसान होने के कारण इन तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर देश व विदेश के मीडिया की निगाहें टिकी है।

विभिन्न पार्टियों के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 को लेकर प्रतिस्पर्धा व चुनाव संबंधित रणनीतियां : –

अगर मौजूदा परिस्थितियों का सही आकलन किया जाए तो मुख्य मुकाबला सत्ताधारी दल और अमित शाह ब्रिगेड के बीच चलता हुआ दिखाई दे रहा है। परंतु कॉन्ग्रेस , वामदल को कम आंकने की भूल किसी भी मुख्य दल को भारी क्षति पहुंचा सकती है। इसी क्रम में ममता बनर्जी लेफ्ट एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बीजेपी के खिलाफ एकजुटता दिखाने का आह्वान कर चुकी है। आगे आने वाले समय में कांग्रेश व टीएमसी गठबंधन की संभावनाएं निरंतर बरकरार है।

वामदलों की टीएमसी को सपोर्ट करने की कोई रणनीति वर्तमान में नजर नहीं आती हुई दिख रही है क्योंकि ममता बनर्जी का मौजूदा वोट बैंक किसी समय में लेफ्ट पार्टियों का आधार हुआ करता था।

वही भगवा दल अपने पुराने एजेंडे हिंदुत्व , एनआरसी, सी ए ए पर तेजी से बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। कुशल चुनाव प्रबंधन में माहिर भाजपा वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाने का कोई भी मौका हाथ से गवाना नहीं चाहती। इसी आधार पर निरंतर 2014 से लेकर अब तक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा बंगाल दौरे पर आते रहे हैं तथा ममता सरकार की कमियों को उजागर करने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते।

इन सबके बीच 6 फरवरी को जेपी नड्डा बंगाल की नोदिप से शुरू कर रहे हैं तो वही 7 फरवरी को पीएम मोदी बंगाल में रविवार के दिन कुछ योजनाओं की आधारशिला रखेंगे एवं जन समूह को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के प्रचार का बिगुल बजाएंगे।

निष्पक्ष चुनाव प्रबंधन एवं वोटिंग के लिए बीजेपी का प्रतिनिधि मंडल कई बार चुनाव आयोग से मिल चुका है तथा चुनाव आयोग के प्रमुख सुनील अरोड़ा खुद पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव – 2021 के लिए कोलकाता में कुछ ही दिन पहले तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे। चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि आने वाले विधानसभा निर्वाचन के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल मुहैया कराया जाएगा।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के लिए किसी भी समय चुनाव आचार संहिता की घोषणा हो सकती है व संपूर्ण राज्य की कमान निर्वाचन आयोग के हाथों में चली जाएगी।

अब देखना दिलचस्प होगा की ममता बनर्जी अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान किए गए सुधारो एवं विकास कार्यों के आधार पर अपनी सत्ता बचा पाती हैं या भाजपा ममता शासन के दौरान की कमियों को उजागर करके बंगाल में कमल का फूल खिला पाएगी !

हमारे द्वारा आपको पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के बारे में दी गई जानकारी अगर सटीक लगे तो आगे चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल विधानसभा इलेक्शन 2021 और राजनीति से जुड़ी खबर के लिए हम से जुड़े रहे। धन्यवाद।

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Author : Surender Kumar

मैं इस ब्लॉग का सह-संस्थापक, मेरी मुख्य रुचि मंडी भाव, मौसम जानकारी के साथ-साथ आपको रोजमर्रा जीवन से जुड़ी सूचना प्रदान करवाने में हैं।

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