नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय स्तर से हाल ही में प्राप्त हुई सरसों वैश्विक मंदी रिपोर्ट 2022 के अनुसार विगत महा जुलाई-अगस्त में वैश्विक बाजारों में सरसों के भाव (sarso ka bhav) में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है जिसका असर सरसों तेल और सरसों खल (downfall in mustard oil & mustard cake prices) के भाव में भी आया है।
आयातित तेलों में लगातार गिरावट से सरसों तेल की मांग उम्मीद से कमजोर हो चुकी है और जयपुर मार्केट में फिलहाल (mustard price) सरसों का भाव ₹6950 प्रति क्विंटल पर स्थिरता से कारोबार कर रहा है।
आवक घटने से सरसों भाव की गिरावट में लग सकती है लगाम
कल शाम को सरसों तेल के भाव (mustard oil price) में और कमजोरी की रिपोर्ट मिली एवं सरसों की arrival लगातार घटने की वजह से सरसों भाव में आ रही गिरावट पर लगाम लगने की उम्मीद है।

फिलहाल संपूर्ण भारत में (mustard arrival in all India) सरसों की कुल आमदनी 1.90 लाख बोरी दर्ज की जा रही है और मिलों की मांग के चलते सिर्फ जरूरत अनुसार ही सरसों निकल रही है।
आने वाले 15 से 20 दिनों में सरसों का व्यापार स्वस्थ रहने के कयास लगाए जा रहे हैं इसलिए खेती-किसान सुझाव देता है कि सरसों और सरसों तेल की नई खरीदी करने से बचें।
सरसों का भाव फिलहाल मंडियों में ₹5500 प्रति क्विंटल से लेकर ₹6500 प्रति क्विंटल तक चल रहा है जबकि इसी सरसों का भाव कुछ सप्ताह तक पहले ₹7000 प्रति क्विंटल के आंकड़े को छू रहा था।
सरसों खल (mustard cake) एवं सरसों के तेल की लाइव मार्केट रिपोर्ट के अनुसार भयंकर मंदी दर्ज़ की जा रही है।
सोयाबीन होल्ड करने वाले उछाल में मुनाफावसूली करें
इस सप्ताह में (soyabean price) सोयाबीन के भाव में ₹50 प्रति क्विंटल की तेजी देखने को मिली है और महाराष्ट्र में भारी बारिश से खेतों में ज्यादा पानी भरने के कारण सोयाबीन को नुकसान हो रहा है।
यदि यह भारी बारिश नहीं रुकी तो सोयाबीन को जबरदस्त नुकसान हो सकता है जिसके चलते (price hike in soyabean) सोयाबीन में तेजी दर्ज की जा रही है लेकिन उम्मीद यह है कि सोयाबीन लंबी तेजी पर नहीं टिकेगा।
जिन व्यापारी या किसान भाइयों ने अभी अपना सोयाबीन का माल होल्ड कर रखा है तो वह निकटतम भविष्य में आने वाले उछाल में मुनाफावसूली जरूर करें क्योंकि सोयाबीन में लंबी तेजी कहीं भी नजर नहीं आ रही है।
फिलहाल मंडियों में (soyabean ka bhav) सोयाबीन का ताजा भाव ₹6500 प्रति क्विंटल के तकरीबन दर्ज किया गया।
महाराष्ट्र में तुवर बढ़िया माल के भाव गत 4 दिनों में ₹250 प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं।
तुवर के भाव में तेजी का कारण सूडान और नाइजीरिया के सस्ते माल का आयात रुक जाना है और फिलहाल की स्थिति को देखते हुए बाजार में ज्यादा दबाव नजर नहीं आ रहा है बल्कि आगे मजबूती की उम्मीद है।
चना, मसूर और मटर का भविष्य जुलाई-अगस्त 2022
काबुली चना में अच्छी तेजी देखने को मिली जिसके बाद बाजार में मुनाफावसूली आ जाने से काबुली चना के भाव (chana ka bhav) में हल्की गिरावट हुई है।
फिलहाल महाराष्ट्र में हाजिर माल की कमी के कारण बाजारों में तेजी देखी गई है और काबुली चना का रेट ₹8000 प्रति क्विंटल तक चल रहा है।
सरकार के पास देसी चना का स्टॉक ज्यादा है लेकिन उत्पादक मंडियों में चना का स्टॉक इतना ज्यादा नहीं है।
उत्पादक मंडियों में जो चना का माल है वह बड़ी-बड़ी कंपनियों में टॉप में लगा हुआ है और वह नीचे के भाव में नहीं निकलेगा यह तो तय है।
दलहनों में यदि देखा जाए तो सबसे सस्ता सिर्फ chana ही है जिससे इसकी खपत धीरे-धीरे बढ़ने लगी है और यदि इस खपत के बढ़ने से मिलो की मांग निकलती है तो चना एक बार फिर से ₹200 से लेकर ₹300 तक की तेजी को पा सकता है।
मौसम खराब होने की वजह से और हल्के माल की बिकवाली आने के कारण बाजार में मटर का भाव (matar ka bhav) हल्का घटा है।
फिलहाल विदेशों से मटर का आयात बंद है एवं मंडियों में भी मटर की अराइवल घटने लगी है और देश के हरियाणा पंजाब जम्मू कश्मीर एवं राजस्थान जैसे राज्यों में मटर की मांग निकलने लगी है।

इस डिमांड के चलते मटर के भाव अब ज्यादा घटने की उम्मीद नहीं है और मटर का भाव कभी भी चार सौ से ₹500 तक का उछाल बना सकता है।
निकट भविष्य में मसूर की कोई फसल आने वाली नहीं है इसकी वजह से पुरानी माल में मजबूती बनने का आसार है और आने वाले समय में मसूर के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है।