खाद्य तेल में तेजी : सरसों के भाव में निरंतर उछाल के चलते सरसों के तेल तथा बाजार में उपलब्ध अन्य प्रकार के सभी रिफाइंड ऑयल में तेजी देखने को मिल रही है जो कि निरंतर जारी है।
खाद्य तेलों सबसे महत्वपूर्ण सरसों के तेल की अगर बात की जाए तो उसकी बाजार में कीमत बढ़कर ₹155 प्रति लीटर हो गई जोकि पिछले वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में लगभग 72 प्रतिशत अधिक है।
सरसों के तेल की बाजार में मांग के कारण
खाद्य तेल में तेजी आने से क्या प्रभाव रहेगा – भारत जैसे विकासशील देशों में मध्यम वर्गीय तथा निम्न वर्गीय परिवारों के घर का बजट कुछ हद तक खाद्य पदार्थों के सस्ता एवं महंगा होने पर निर्भर करता है जिसमें खाद्य तेल जोकि रसोई का आधार है सीधे तौर पर आर्थिक दृष्टि से खास महत्व रखता है।
पिछले कुछ समय से भारतीय बाजारों में विभिन्न मंडियों में सरसों के भाव में निरंतर तेजी देखी जा सकती है। इसके बारे में विभिन्न कारण प्रमुखता से दर्शाया जा रहे हैं जिनमें से मुख्य कारण सरसों के तेल की डिमांड तथा इसके भाव में तेजी मान सकते हैं।
खाद्य तेल में तेजी : सरकार द्वारा पिछले कुछ समय में सरसों के तेल में मिलावट पर सख्त प्रतिबंध लगाने तथा पाम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगाने से रिफाइंड ऑयल की जगह सरसों का तेल रेस्टोरेंट्स, होटल, शादी समारोह तथा घरेलू रसोई में इस्तेमाल होने लगा है जिससे की मार्केट में डिमांड बढ़ चुकी है।
खाद्य तेलों में सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ विदेशों से आयात होने वाले अन्य खाद्य तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण निम्न वर्गीय तथा मध्यवर्गीय परिवारों के बजट के लिए उपयोगी है।
सरसों के तेल के दाम बढ़ने के कारण स्थानीय स्तर पर लोगों का झुकाव मूंगफली तथा मक्का के तेल की तरफ आना शुरू हुआ है जिसके कारण विभिन्न शादी समारोह , नमकीन फैक्ट्री तथा होटलों पर मूंगफली व मक्का के तेल की खपत बढ़ी है जिससे इनके भाव में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
खाद्य तेल में तेज़ी तथा तिलहन में आत्मनिर्भरता
जिस तरह से खाद्य तेलों में शुद्धता का स्तर बढ़ने लगा है उसी प्रकार से निरंतर इनके भाव में तेजी भी देखने को मिल रही है, जिसका विपरीत प्रभाव ना होकर सकारात्मक प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, सोयाबीन का तेल तथा मक्की के तेल इत्यादि खाद्य तेल में तेजी आने से किसान भाई सरसों, मूंगफली तथा अन्य तिलहन के उत्पादन पर जोर देंगे जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ-साथ घरेलू जरूरतों के लिए विदेशों से होने वाले तेल के आयात पर काबू पाया जा सकेगा कथा विदेशों में घरेलू तेल के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
खाद्य तेल में तेजी : बाजार में विभिन्न दलहनों के थोक के भाव इस प्रकार हैं
सरसों तिलहन – ₹7000 से लेकर ₹7100
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल – ₹2545 से लेकर ₹2605 प्रति टिन
मूंगफली तेल मील डिलीवरी – ₹16000
सोयाबीन तेल मिल डिलीवरी दिल्ली के भाव – ₹15200
सोयाबीन मील डिलीवरी इंदौर के रेट – ₹14900
सोयाबीन तेल कांडला – 13900 रुपए
बिनोला मील डिलीवरी हरियाणा – ₹14600
पामोलिन आरबीडी दिल्ली – ₹14000
पामोलिन कांडला – ₹12800
किसानों की आर्थिक मजबूती में सरकार की सहभागिता खाद्य तेल में तेजी को रोकने का प्रयास
भारत में सरसों के प्रमुख उत्पादक राज्यों में राजस्थान तथा हरियाणा का महत्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान राज्य भारत के सर्वाधिक सरसों उत्पादन वाला राज्य है। जैसा कि आप जानते हैं एक रबी सीजन की महत्वपूर्ण फसल है जो कि कम सिंचित क्षेत्र में भी उगाई जा सकती है।
पश्चिमी राजस्थान तथा उत्तरी राजस्थान में पानी की काफी किल्लत होने के कारण यहां पर सरसों की खेती प्रमुखता से की जाती है तथा उत्पादन भी भरपूर होता है, गत कुछ समय से सरसों के भाव में आई तेजी से किसानों के आर्थिक वृद्धि करण की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत देखने को मिल रहे हैं।
भविष्य में सरकार मुख्य तिलहन फसलों के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का काम करें ताकि भारत देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाया जा सके तथा विदेशों में इसका निर्यात भी किया जा सके।
खाद्य तेल में तेजी किसानों के आर्थिक आत्मनिर्भरता के संकल्प को दृढ़ करने का संकेत हैं। राज्य तथा केंद्र सरकार सरसों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए निरंतर किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ विभिन्न आधुनिक सिंचाई योजनाओं का भी सहारा ले सकती है जिसमें फवारा सिस्टम से सिंचाई उपयोगी है।
खाद्य तेल में तेजी : तुवर की दाल के भाव : आने वाले कुछ सप्ताह में तुवर के भाव में डिमांड कमजोर होने के कारण ₹200 से लेकर ₹250 तक की मंदी दर्ज की जा सकती है। जिसका प्रमुख कारण शादी समारोह तथा होटलों का बंद होना माना जा सकता है।
तुवर के प्रमुख निर्यातक देश में तुवर की कटाई होना शुरू हो गई है जिससे 25000 से लेकर 30000 टन उत्पादन का अनुमान है। इसके साथ साथ बर्मा से भी 60000 टन से अधिक तुवर का उत्पादन होने की संभावना है।
चने के भाव में तेजी
इस सप्ताह में चने के भाव में तेजी का निरंतर दौर जारी रह सकता है कोरोना का लॉकडाउन के कारण चने की मंडियों में आवक कम होने से तथा कम उत्पादन होने से चने के भाव में निरंतर तेजी रह सकती है।
मसूर के दाम में भारी उछाल
सीमित मात्रा में मंडी में आवक होने तथा बढ़ती मांग से मसूर में शानदार बढ़त देखने को मिल सकती है।
मूंग के भाव
दिल्ली के बाजार भाव में मूंग के भाव में तेजी देखने को मिली हालांकि मध्यप्रदेश में मूंग की ग्रीष्मकालीन आवक शुरू होने वाली है।
sarson bhav today : हरियाणा राज्य की विभिन्न मंडियों में सरसों के भाव ₹6500 से अधिक मिल रहे हैं राजस्थान की मंडियों में अधिकतम भाव ₹7500 तक किसानों को मिल चुके हैं, इसी कारण खाद्य तेल में तेजी की प्रबल संभावना है।