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पिपरमिंट की खेती : किसानों को अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय खेती की ओर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वह अपनी परंपरागत खेती की अपेक्षा औषधीय खेती (medicinal farming) से अधिक धन अर्जित कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाले किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय खेती (peppermint farming) भी करते हैं और इस चीज को अपनी आय का प्रमुख स्त्रोत भी समझते हैं।

Medicinal Plant Pippermint Farming Guide in Hindi

वैसे आमतौर पर भी पिपरमिंट की खेती (Medicinal Plant Pippermint Farming) करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत होती है क्योंकि इससे फसल से उन्हें बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त होता है, इसके अति में उनकी मुनाफा का कारण यह भी है कि कम समय में यह फसल तैयार हो जाती है।

इतना ही नहीं पिपरमिंट की खेती खेतों की और बता क्या शक्ति को बढ़ावा देती है, यहां के एक प्रगतिशील किसान ने पिपरमेंट की खेती कर काफी अधिक मात्रा में धन का अर्जन किया, इस फसल को किसान ने कई वर्षों तक किया उसके बाद किसान ने दूसरों को भी औषधीय खेती की और ध्यान केंद्रित करने की बात पर बल दिया।

उरई मुख्यालय जालौन से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर कोच नगर के बौहरा गांव के किसानों से हुई वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने 2009 में औषधीय खेती की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया था सबसे पहले उन्होंने 4 एकड़ और आज 25 बीघे में पिपरमिंट की खेती वह कर रहे हैं पिपरमेंट का यह 2 फीट का पौधा किसानों को कितना लाभ पहुंचाता है।

इसके बारे में किसान ने बताया कि उन्होंने 4 एकड़ में 3 महीने में करीब 2.30 लाख से भी अधिक की पैदावार की है, इसके अलावा किसान पिपरमेंट की कटाई के बाद उसने हरी खाद और उसके धान की रोपाई उसी खेत में कर सकते हैं, पिपरमेंट की नर्सरी डालने के लिए धान की नर्सरी की तरह ही खेत में इसको तैयार किया जाता है।

पिपरमिंट की खेती करने से पहले नर्सरी डालना है आवश्यक

बता दें कि पहले नर्सरी डाली जाती है और 20 से 25 दिन बाद उसकी रोपाई की जाती है ठीक 90 से 120 दिन के अंतराल में उसकी कटाई की जाती है कटाई के बाद फसल को प्लांट के माध्यम से उबालकर उसका तेल जो निकाल लिया जाता है।

किसानों और विशेषज्ञों से वार्तालाप के बाद इस बात की जानकारी मिली है कि विगत वर्ष मात्र 4 एकड़ पिपरमेंट गाया गया था फिर दूसरे साल अधिक पिपरमिंट की खेती की गई, इसके अलावा उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उनके क्षेत्र में पिपरमेंट बनाने के लिए कोई इकाई नहीं है फिर भी पौधों से निकाला गया तेल जिसे कच्चा माल भी कहते हैं को कोंच, जालौन में बेच दिया जाता है।

इसके अलावा विशेषज्ञों से मुनाफे के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि इसे 3, 4, 5 बस रोककर भी अच्छे खासे दाम कमाए जा सकते हैं, धाम के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि करीब 1200 से 1800 रुपए प्रति किलोग्राम तक पिपरमेंट दिख जाता है

यदि तेल की कंपनियां इस तेल को सीधे किसानों से लेती हैं तो उन्हें अधिक मुनाफा हो सकता है लेकिन लोगों का अभी भी परंपरागत पिपरमिंट की खेतीसे मोहभंग नहीं हो रहा है भाई बहुत सारे किसानों ने पिपरमिंट की खेती से कमाई कर खुद का पिपरमेंट का प्लांट भी लगा लिया है।

पिपरमिंट की रोपाई कैसे करें और तेल निकालने का तरीका

जिस खेत में आपके कमेंट करने वाले हैं उसे खेत की आप चार से पांच बार जुताई करा दीजिए, उसके बाद उसमें गोबर की खाद डालें यदि गोबर की खाद उपलब्ध नहीं है तो आप यूरिया भी उसकी जगह डाल सकते हैं

इसके साथ ही पिपरमेंट को 1 दिन पहले ही पानी में भिगोकर रख लें, उधर खेत तैयार हो जाने के बाद उसमें बीज छिड़क डालें, तत्पश्चात 20 से 25 दिन में तैयार नरसी को खेत में पानी लगा कर उस में डीएपी का छिड़काव करें और रोपाई कर दें।

एक बात और विशेष ध्यान रखें पौधे की दूरी 8 इंच तक होनी चाहिए और आपकी यह फसल नवंबर के अंतिम माह में तैयार हो जाएगी| जिसको तैयार होने में कुल्ले तीन माह का वक्त लगता है, इसके साथ ही इसकी सिंचाई के लिए खेत में पानी ना लगे लेकिन नमी हमेशा बनी रहे।

जानिए कैसे निकाला जाता है पिपरमिंट का तेल : इसके लिए प्लांट के टैंक में एक ट्राली मेंथा और 50 लीटर पानी को खूब पकाया जाता है उसके बाद टैंक से बाप के सहारे निकले तेल को एक बर्तन में एकत्रित करके 4 घंटे के अंदर एक ट्राली मेंथा से 25 से 30 लीटर तेल निकल कर तैयार हो जाता है|

पिपरमिंट बाजार भाव और बीज का दाम

ज्यादातर किसान पिपरमिंट की खेती इसलिए करते हैं ताकि वह उससे अधिक दाम कमाएं, जानकारी के लिए आपको बता दें कि पिपरमेंट का तेल तैयार होने के बाद करीब 12 साल से 18 सो रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से आसानी से बाजार में बिक जाता है।

इसके अलावा यदि किसान 1 साल इस पिपरमिंट तेल को रोक देते हैं तो यही तेल है अच्छे दामों में बिक जाता है, और अगर किसान इस तेल को सीधे किसी कंपनी को भेजते हैं तो उनको और अधिक मुनाफा होता है।

पिपरमिंट का अच्छी किस्म के जड़ बाजार में ₹900 से 1300 प्रति कुंटल है, इसके एक बिगे में करीब 80 किलो जल का इस्तेमाल होता है यानी 4 कुंटल जड़ में 5 बीघा खेत के लिए डाली जाती है।

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विविध उपयोग

टेस्टिंग टॉफी, पान, सावन, ठंडा तेल, टूथपेस्ट आधे से लेकर विभिन्न प्रकार के औषधि निर्माण में pippermint इस्तेमाल किया जाता है।

इस पौधे से निकाले गए तेल को बाजार में चाहे जब बेचे उसका नगदी पैसा ही दिया जाता है इस संबंध में किसानों का कहना है कि उत्पादन देने के तुरंत बाद उन्हें भुगतान मिल जाता है इसलिए यह डर नहीं रहता उन्हें कि भुगतान मिलेगा या नहीं।

यदि औषधीय पौधे पिपरमिंट की खेती (medicinal plant pippermint farming) से संबंधित आपका कोई सुझाव या कोई बात का असमंझस है तो निचे कमेंट करके ज़रूर पूछें।

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Author : Pankaj Sihag

मैं इस खेती-किसान ब्लॉग का संस्थापक पंकज सिहाग हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव के किसान का बेटा हूँ। यहाँ पर किसानों की सहायता हेतु फसलों के मंडी भाव दिए जाते हैं।

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